हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर पढ़े पटना हनुमान मंदिर की स्थापना की कहानी : संवाददाता : विजय कुमार चौधरी

हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर पढ़े पटना हनुमान मंदिर की स्थापना की कहानी : संवाददाता : विजय कुमार चौधरी 
पीपल के पेड़ से शुरू हुई थी आस्था की अद्भुत यात्रा, चंदे की ईंट से हुआ था पटना महावीर मंदिर का निर्माण 

पटना का महावीर मंदिर देश के प्रमुख हनुमान मंदिरों में से एक है । जिसका इतिहास एक पीपल के पेड़ के नीचे स्थापित प्रतिमा से शुरू हुआ।। पहले यह मंदिर साधारण था, लेकिन भक्तों के सहयोग से धीरे-धीरे इसका विकास हुआ ।
हनुमान मंदिर पटना का फोटो 

  चर्चित इंडिया न्यूज़ : विजय कुमार चौधरी ( पटना ) बिहार की राजधानी पटना में स्थित महावीर मंदिर आज देश के प्रमुख और प्रसिद्ध हनुमान मंदिरों में से एक है, लेकिन एक समय ऐसा भी था जब यह मंदिर ना ही भव्य था और ना ही प्रसिद्ध. यह मंदिर पटना जंक्शन के सामने स्थित है, जहां पहले एक विशाल पीपल का पेड़ हुआ करता था और उसके पास ही तब 'बिहार मिष्ठान भंडार' नामक एक दुकान हुआ करती थी. शुरुआती दौर में रेलवे की जमीन पर बजरंगबली की एक जोड़ी प्रतिमा स्थापित की गई और वहीं से पूजा की शुरुआत हुई ।

उस समय स्टेशन तक जाने वाला मार्ग कच्चा था, जिसपर बैलगाड़ियां चला करती थीं. इन्हीं बैलगाड़ियों से चंदे में एक-एक ईंट जुटाई गई और मंदिर का निर्माण शुरू हुआ. तब रामनवमी के अवसर पर यहां चैता गाने की परंपरा थी, जिसमें आस पास के गांवों से आए श्रद्धालु ढोलक और झाल लेकर हिस्सा लेते थे. नवरात्र के समय यहां विशेष आयोजन किया जाता था । 

मंदिर के निर्माण के सबसे अहम साल 1948 का रहा. जब पटना उच्च न्यायालय ने महावीर मंदिर को सार्वजनिक मंदिर घोषित कर दिया. मंदिर के वर्तमान स्वरूप का निर्माण वर्ष 1983 से 1985 के बीच हुआ, जिसमें आचार्य किशोर कुणाल और उनके भक्तों का विशेष योगदान रहा. मंदिर में भगवान हनुमान की दो युग्म प्रतिमाएं स्थापित हैं पहली "परित्राणाय साधूनाम्" (सज्जनों की रक्षा के लिए) और दूसरी "विनाशाय च दुष्कृताम्" (दुष्टों के विनाश के लिए) ।

यह मंदिर 1900 ईस्वी से रामानंद संप्रदाय के अंतर्गत आता है, जबकि 1948 तक यह गोसाईं सन्यासियों के अधीन था. न्यायालय के अनुसार, यह मंदिर अनादिकाल से अस्तित्व में है. मंदिर के जीर्णोद्धार की प्रक्रिया 30 नवंबर 1984 से 4 मार्च 1985 तक चली। 

आज यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से भी बिहार में अत्यंत प्रभावशाली बन चुका है. पटना जाने वाले हर हिंदू इस मंदिर के अवश्य ही दर्शन करता है. हनुमान जयंती के दिन के दिन यहां लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. तिरुपति मंदिर के बाद यह दूसरा ऐसा मंदिर है जहां सबसे अधिक मात्रा में नैवेद्यम (लड्डू) की बिक्री होती है. महावीर मंदिर अब उन मंदिरों में गिना जाता है जो पारंपरिक तीर्थस्थल नहीं होते हुए भी, अल्पकाल में ही देशभर में ख्यातिप्राप्त हो चुके हैं ।

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